Saturday, March 2, 2013

सूर्य के विभिन्नभावगत नीच अवस्‍था के शुभशुभ फल

आदिदेव! नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर!
दिवाकर! नमस्तुभ्यं प्रभकर! नमोऽस्तु ते।।


सभी मित्रों को नमन!
आज भगवान भास्कर सूर्य का दिवस रविवार है। आज हम ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य के कुण्डली में नीच होने की स्थिति पर विचार करेंगे।
हम यहां बता दें कि ग्रहों की उच्च और नीच अवस्था के फल को लेकर विशेषज्ञों में भिन भिन्न मत होते हैं, लेकिन साधारण जन के लिए भ्रम की स्थिति घातक होती है। इसलिए प्रथम तो यह स्पष्ट कर दें कि ज्योतिष के अनुसार सभी ग्रह एक विशेष अवस्था में उच्च के कहे जाते है और अपने उच्चभाव से सप्तम भाव में अंश विशेष पर वे नीचगत हो जाते हैं। कहा जाता है कि नीच भवगत ग्रह अशुभ प्रभाव ही देते हैं, लेकिन यह केवल भ्रम है। अनेक अवस्थाओं में नीचगत ग्रह जातक को शुभत्व भी प्रदान करते हैं। ग्रह की उच्च राशि और नीच राशि एक दूसरे से सप्तम होती हैं।
सर्व प्रथम हम सूर्य की बात करते हैं जो मेष में उच्च का होता है जो कि राशि चक्र की पहली राशि है और तुला में नीच होता है जो कि राशि चक्र की सातवीं राशि है। सूर्य केवल एक राशि के स्वामी हैं।
सभी ग्रहों के बलाबल का राशि और अंशों के आधार पर मूल्यांकन किया जाता है। एक राशि में 30 अंश होते हैं। ग्रहों के सूक्ष्म विश्लेषण के लिए ग्रह किस राशि में कितने अंश पर है यह ज्ञान होना अनिवार्य है।
सूर्य सिंह राशि में स्वग्रही होता है। मेष राशि में 1 से 10 अंश तक उच्च का माना जाता है। तुला के 10 अंश तक नीच का होता है। 1 से 20 अंश तक मूल त्रिकोणस्थ माना जाता है। सिंह में ही 21 से 30 अंश तक स्वक्षेत्री होता है।
यहां विशेष जानने योग्य तथ्य यह है कि नीच और उच्चराशिस्थिति केवल उस ग्रह के बलशाली और बलहीन होने की अवस्था का ज्ञान कराते हैं, इसका शुभ होने और अशुभ होने से कोई संबंध नहीं है। मेष में स्थित उच्च का सूर्य जातक को बहुत अशुभ फलदायी हो सकता है और तुलागत नीच का सूर्य भी लाभ के द्वार खोल सकता है। किसी भी अवस्था में केवल ग्रह के बल पर प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन संबंधित ग्रह का स्वभाव नहीं बदल सकता।
प्रथम भाव में नीचगत सूर्य:
शुभ फल-आर्थिक लाभ प्रदान करेगा। ससुराल पक्ष से धनागम। सुखी गृहस्थ।
अशुभ फल-गंभीर रोग। लंबे समय तक रोग। दामपत्य जीवन में विषमताएं।
द्वितीयभावगत नीच सूर्य:
शुभफल-शासन अथवा निजी क्षेत्र में प्रतिष्ठत पद। विदेश आवागमन। विदेश में आवास।
अशुभ फल- विवाह विच्छेद। आर्थिक विपन्नता।
तृतीय भावगत नीच सूर्य:
शुभफल- सफल व्यवसायी। सरकार में मंत्री। यशस्वी और प्रतिष्ठत।
अशुभ फल-अनेक विवाह हों तो भी संबंध विच्छेद। बुरा स्वास्थ्य। हर कार्य में बाधा।
चतुर्थ भावगत नीच सूर्य:
शुभफल-वैभवसंपन्न। धनी पिता का धनी पुत्र। उत्तराधिकारी। सुंदर स्त्री का पति।
अशुभ फल- अति कामुक। अनेक स्त्रियों को भेगने वाला। आर्थिक हानि और अपमानित। गुप्त यौन रोग। स्त्रियों के कारण दरिद्रता।
पंचम भावगत नीच सूर्य:
शुभफल-अनेक व्यवसाय। श्रेष्ठ संतान का पिता।यशस्वी,प्रतिष्ठत।विदेश में शिक्षा।
अशुभ फल- सहयोगियों का शिकार। असफल बहुधंधी। सरकार की दृष्टि में किरकिरी। रोगी।
षष्ठïम भावगत नीच सूर्य:
शुभफल- उत्तराधिकारी। पैत्रिक एवं संबंधियों की संपत्ति का स्वामी। सफल।
अशुभफल- वैवाहिक जीवन में विष। रोगी। न्यायालय की परिक्रमा में जीवन जंजाल।
सप्तम भावगत नीच सूर्य:
शुभफल-उच्च पदाधिकारी। शल्य चिकित्सक। अभियांत्रिक। पे्रम विवाह। सुखी विवाहित जीवन।
अशुभ फल- विवाह विच्छेद। संतान प्राप्ति में समस्या। चिकित्सकों की परिक्रमा में जीवन।
अष्टम भावगत नीच सूर्य:
शुभफल-दादा, नाना व मित्रों और समाज के श्रेष्ठ व्यक्तियो की समपत्ति का स्वामी। अध्यात्म व पराविज्ञान में सिद्धपुरुष। सुप्रसिद्ध संत महात्मा।
अशुभफल- विवाह बाधा। हो जाए तो पत्नी मृत्यु दुर्योग। कष्टपूर्ण रोग से मृत्यु।
नवम भावगत नीच सूर्य:
शुभफल-बुद्धिकौशल से अनेक स्त्रियों का पति। धनी मानी। अध्यात्म की ओर आकर्षित।
अशुभफल- असफल विवाह। गंभीर रोग। पितृदोष।
दशम भावगत नीच सूर्य:
शुभफल-पुलिस, सैन्य अधिकारी। न्यायाधीश। आकस्मिक धन लाभ।
अशुभफल- स्थयी मानसिक पीड़ा। लंबे समय तक बेरोजगार। दुखी दामपत्य।
एकादशभावगत नीच सूर्य:
शुभफल- जमा जमाया व्यापार।प्रतिष्ठा। पैत्रिक संपत्ति। विदेश में स्थायीवास।
अशुभ फल- अति अहंकार। पद दलित। अनावश्यक खर्चीला।
द्वादशभावगत नीच सूर्य:
शुभफल-विदेश में स्थायीवास। पराविज्ञान में शोध व अध्यात्म में प्रसिद्ध।

अशुभफल-परिवार व पत्नी से दूर। अति महत्वाकांक्षा से परेशान। असफल।

लेखक  - पण्डित डॉ. चन्द्रशेखर शास्‍त्री
ज्योतिष व तन्‍त्रविज्ञान सहित नौ विषयों में आचार्य(एम.ए.), तन्‍त्रविज्ञान में विद्यावाचस्पति(पीएच.डी.)
जगद्गुरु शंकराचार्य परम्परा में श्रीशम्‍भू पंचाग्नि अखाड़े से सम्बद्धद्व कालीकुल एवं श्रीकुल में दीक्षित, भविष्यचन्द्रिकापंचांगकर्ता।
हस्तरेख, जन्मकुण्डली, सामुद्रिक शास्‍त्र, अंकज्योतिषीय विश्लेषण, रत्नचिकित्सा, वास्तु परामर्श, तन्‍त्रविज्ञानोपचार, स्वप्नविज्ञान, पराविज्ञान परामर्श और तन्‍त्र, मन्‍त्र व यन्‍त्र के विशेष अनुष्ठानों के लिए सम्पर्क करें।


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